बेतिया की गंदगी को दर्शाता यह दृश्य, सुअरों के आतंक से नगरवासी परेशान, नगरपरिषद और प्रशासन मौन

सुअरों से होती हमारी क्लीन बेतिया
न्यूज9 टाइम्स बेतिया से आशुतोष कुमार बरनवाल की ब्यूरो रिपोर्ट :-
पश्चिम चम्पारण जिला के बेतिया नगर साफ सफाई और विकास के दावे भले ही मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए धूंआधार करता हो पर स्थिति जो है वो इसके उलट होती है। क्लीन बेतिया बनाने के लिए लाखों लाख के संसाधनों और राशियों का आवंटन होता आया है पर क्या सभी संसाधनों के सहयोग से राशियों का उपयोग क्लीन नगर बनाने में हुआ है? बड़े महानगरों के तर्ज पर सोचा और करने का प्रयास किया जा रहा है पर क्या उन जगहों के समान ईमानदारी और गुणवत्ता का ख्याल यहाँ के संबंधित विभागों और संवेदकों ने रखा भी है या नहीं, इसकी शुदध लेने वाला भी कोई नहीं है।
शायद ही कोई दिन हो कि साफ सफाई का कार्य नगर परिषद ना करती हो पर सवाल यह जेहन में आता है कि इतना होने के बाद भी नगर में सफाई दिखती है? शायद हां कहना ही हमारी सबसे बड़ी उपहास होगी।
नगर के सर्वोदय मध्य विद्यालय के मुख्य द्वार पर मुर्गों की पंख और उसके अवशेष (अचौनी पचौनी) किसी जिम्मेदार नागरिक के द्वारा फेंका गया और वहाँ इतनी बदबू थी कि कोई एक मिनट भी बिना नाक दबाएं नहीं रह सकता है। और उस साफ द्वार पर ही उन अवशेषों में अपना भोजन और हिलोरें लगा रहा था सुअरों की टोली। अब कहने वाले कह भी सकते हैं।
कि कहीं सुअरों ने लाकर विधालय के द्वार पर फेंका हो पर ऐसा नहीं है। सुअर तो बस फेंके गए उन मुर्गों के अवशेषों में अपना भोजन करने आ गए थे। जहां अवशेष फेंके गए थे वहाँ से पांच कदम पर ही महिला काॅलेज भी है। अब जहां विधालय और काॅलेज है वहाँ की सफाई व्यवस्था इतनी तगड़ी रहती है तो आप सारे नगर की सफाई व्यवस्था पर अपना विचार और निरीक्षण स्वयं कर सकते हैं। क्लीन बेतिया से ज्यादा क्वीन बेतिया के तर्ज पर नगर परिषद की रूप रेखा खींची जा रही है। पार्षद और सभापति के परस्पर गतिरोध का खामियाजा नगर क्षेत्र की विकास और अन्य आवश्यक कार्य प्रभावित होती है। हम सभी एक भारत के निवासी कहे जाने का गर्व करते हैं पर जब इसी भारत के एक छोटे नगर में परस्पर नीचा दिखाते हुए अपने अपने क्षेत्र के हिसाब से सफाई कार्य को करते हैं और थोड़ी सी सीमा पार करके कोई भी सफाई को करने से परहेज दिखाते हैं तो एकपल लगता ही नहीं है कि हम एक भारत वर्ष के नागरिक है।
राजनीतिक और व्यक्तिगत लाभ के कारण हमारे जनप्रतिनिधि क्लीन बेतिया के सोच पर पानी फेर देते हैं। नगर की सीमा चाहे जो हो पर है तो हमारा ही नगर और जब तक यह सोच ना आएगी तब तक क्लीन और ग्रीन नगर का सपना पूरा नहीं किया जा सकता है।