मोदी सरकार की विफलता का गवाह बनता महारानी जानकी कुंवर अस्पताल बेतिया, स्वरी वार्ड से इमर्जेंसी वार्ड तक गंदगी का अम्बार, मरीज अभिभावक दुषित पानी पीने पर विवश,

मोदी सरकार की विफलता का गवाह बनता महारानी जानकी कुंवर अस्पताल बेतिया, स्वरी वार्ड से इमर्जेंसी वार्ड तक गंदगी का अम्बार, मरीज अभिभावक दुषित पानी पीने पर विवश,
बेतिया सांसद, विधायक एवं नगरपरिषद मस्त
न्यूज 9 टाइम्स : बेतिया से मनीष कुमार की रिपोर्ट : (सहयोगी संवाददाता कुंदन पांडे)
बेतिया जिला अस्पताल होने का गौरव जिस महारानी जानकी कुंवर अस्पताल को है यह दिनों दिन अव्यवस्था का शिकार होता जा रहा है तस्वीरों की अगर माने तो अस्पताल प्रशासन किसी भी तरह से अस्पताल की व्यवस्था करने में सक्षम नजर नहीं आता जगह-जगह कूड़े का अंबार दिखाई दे रहा हैl जहां जज्जा-बच्चा दोनों ही खतरे से खाली नहीं है। जहाँ सरकार शत प्रतिशत बच्चों का जन्म सरकारी अस्पतालों में कराने को कटिबद्ध है वैसे जगहों पर ऐसी व्यवस्था एक सवालिया निशान है राज्य व अस्पताल प्रशासन पर उसमें भी खास यह है कि इस अस्पताल को गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज का मान्यता प्राप्त है और यहाँ मेडिकल छात्रों की पठन पाठन भी होती है।
इस संबंध में जब हमने अस्पताल अधीक्षक से उनका पक्ष जानने की कोशिश की तो उन्होंने हमारे संवाददाता को बताया कि सारी गलती नगर परिषद की है जिस के संबंध में उन्होंने एक पत्र भी दिखाया जो उन्होंने नगर परिषद को लिखा था परंतु नगर परिषद से संपर्क करने पर पता चला की मेडिकल वेस्टेज को उठाने की जवाबदेही अस्पताल द्वारा किसी दूसरी संस्था को दी गई है। वह संस्था समय पर मेडिकल वेस्टेज रूपी कचड़े का समय पर उठाओ नहीं करता, नाहीं उसकी रखने की कोई व्यवस्था की गई है। अधीक्षक के बयान से साफ प्रतीत होता है कि उन्होंने उस संस्था को बचाते हुए संवाददाता को गुमराह करने की कोशिश की थी।
आखिर किस फायदे को पाने के लिए अस्पताल अधीक्षक ने वह मेडिकल वेस्ट उठाने वाली संस्था का बचाव करते हुए नगर परिषद के ऊपर जवाबदेही डालने का काम किया इससे कहीं ना कहीं इन सब कार्यों में अस्पताल प्रशासन कि भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत होती है।
बहरहाल देखना यह है कि बीच-बचाव का खेल कर अस्पताल प्रशासन अपने उपरोक्त समस्याओं के प्रति कैसे जवाबदेह बनती है और मरीजों के जीवन के प्रति सजग होती है।