बगहा पुलिस जिला
मृतक कक्षपाल गुलशन कुमार के परिजनों ने उपकारा द्वार पर जेलर के लापरवाही व तानाशाही का आरोप लगाते हुए
न्यूज़ 9 : बगहा से रवि कुमार मिश्रा की रिपोर्टः बगहा उपकारागृह में कक्षपाल गुलशन कुमार की मौत की खबर पर पहुचे मृतक के परिजनों ने मंगलवार को उपकारा के मुख्य द्वार पर जेलर के उपर लापरवाही व तानाशाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा एवं नारेबाजी किया। जिससे उपकारा के अंदर व बाहर घंटों अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। प्रशासन मृतक के परिजनों को मनाने की पुरजोर कोशिश करती रही। घटना के बावत मृतक के चाचा नारायण प्रसाद सिंह ने बताया कि गुलशन बीते कई दिनों से घर फोन कर अपनी तबियत खराब होने की बात बताया करता था साथ ही यह भी कहता था कि इलाज कराने हेतु कई दफा छुट्टी की अर्जी उपकारा अधीक्षक महोदय को दिया। लेकिन हिटलर अधीक्षक ने उसे नामंजूर कर दिया । उन्होंने बताया कि जेलर द्वारा गुलशन की अर्जी मंजूर कर ली गयी होती तो आज गुलशन जिंदा रहता। आगे बताया कि बीमारी अवस्था मे मौत होने के दिन तक उससे ड्यूटी ली गयी है।उन्होंने बताया कि गुलशन के मौत के बाद जब उसके सामान को समेटा जा रहा था। तो उसी क्रम में गुलशन के द्वारा लिखी गयी छुट्टी की अर्जी मिली है। जिसमे उन्होंने शेष दो आकस्मिक अवकाश एवं पांच दिनों की अवैतनिक अवकाश समेत कुल सात दिनों के लिए अवकाश की गुहार लगायी थी। सिंह ने बताया कि जब उसकी तबियत ज्यादा बिगड़ गयी तब उसे आनन -फानन में अनुमंडलीय अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उसे बेहतर इलाज का हवाला देकर रेफर कर दिया। उस समय भी अगर उसे अच्छे अस्पताल में इलाज कराया गया होता तो गुलशन आज मेरे आखों के सामने जिंदा होता। लेकिन जेलर ने ऐसा कुछ नही किया और उसे मरने के लिए पुनः उपकारागृह लेकर चला आया। उन्होंने बताया कि केवल जेलर के तानाशाही और लापरवाही के वजह से इसकी मौत हुई है। परिजन जेलर पर कार्यवाही की मांग कर रहे थे।मौके पर पहुचे केंद्रीय कारा मोतिहारी के अधीक्षक मनोज कुमार ने मृतक के परिजनों को समझा -बुझाकर शांत कराया और जांच कर कार्रवाई करने का भरोसा दिया।
