गुटखा प्रतिबंध अधिकारियों और तस्करों के लिए बना वरदान, बेखौफ होकर जिला पश्चिमी चम्पारण में विक्री कर रहें गुटखा कारोबारी

गुटखा प्रतिबंध अधिकारियों और तस्करों के लिए बना वरदान, बेखौफ होकर जिला पश्चिमी चम्पारण में विक्री कर रहें गुटखा कारोबारी
न्यूज़ 9 टाइम्स : बेतिया से मनीष कुमार की रिपोर्ट :-
राज्य में अक्सर पुलिस द्वारा शराब बंदी के पश्चात शराब की बड़ी खेप का पकड़ा जाना इस बात को इशारा करता है कि राज्य में शराब बंदी से शराब तस्करों को किसी भी प्रकार का भय प्रशासन का नही है । विदित है कि पान मसाला पर 100 प्रतिशत से ज्यादा का कर है। पान मसाला बंदी से जहाँ सरकार को लाखों रुपये राजस्व का नुकसान हो रहा है वहीं राजस्व की रकम सरकार के खाते में ना जाकर बंदरबाँट आखिर कहाँ हो रहा है? शराब बंद है, गुटखा बंद है फिर भी दोनों बाजारों में उपलब्ध है। आखिर जब बिहार के मुखिया नीतीश कुमार ने बंदी की तो फिर कौन से अधिकारी उनके इस बंदी में रोड़ा बने हुए हैं और जब इस तरह के रोड़ा प्रदेश में उपस्थित हैं तो फिर किनके भरोसा पर यह सब बंदी को सफल बनाने की सोच बिहार के मुखिया रखें हुए हैं। सोचनीय है आखिर राजस्व की रकम कहीं ना कहीं काले धन के रूप में जमा हो रही है ।
सूत्रों के मुताबिक माने तो गुटखा के काले कारोबार में बड़े सफेदपोशों का भी हाथ है तभी तो इतने बड़े सिंडिकेट जिसमें प्रतिदिन लाखों की अवैध कमाई होती है और कोई देखना और कार्यवाही करना नहीं चाहता। बड़ी बात यह है कि शराब तो लोग छुपा कर प्रयोग करते है परंतु प्रतिबंधित पान मसाला का प्रयोग तो लोग खुले आम करते नजर आते हैं, कहीं कहीं तो अधिकारीगण भी इसका सार्वजनिक क्षेत्र में इस्तेमाल करते नजर आते हैं। और सरकार लोगों को पान मसाला ना खाने के लिए लोगों को जागरूक बनाने का कोई प्रयास नही करती नजर आ रही है।
इन सभी स्तिथियों को देखने से यह समझ मे आता है कि नीतीश सरकार की शराब बंदी की तरह ही गुटखा बंदी भी सिर्फ और सिर्फ तस्करों व उनके संरक्षकों तथा इस रैकेट में शामिल सभी लोगों के लिए प्रतिदिन सिर्फ बेतिया जैसे नगर में लाखों रुपये अवैध कमाई का माध्यम है । आम जनता खुद समझ सकती है पूरे बिहार में ये रकम कितनी है और आखिर ये पैसा जाता कहाँ है।