पश्चिम चंपारण

कोविड़–19 की महामारी में दिव्यागो को सरकारी सहायता जरुरी—- कांग्रेस नेत्री मंजूबाला पाठक।

कोविड़–19 की महामारी में दिव्यागो को सरकारी सहायता जरुरी—- कांग्रेस नेत्री मंजूबाला पाठक।

न्यूज़ 9 टाइम्स:बगहा ब्यूरो नवल ठाकुर का रिपोर्ट:-

बिहार प्रदेश काग्रेस पार्टी के महिला प्रदेश उपाध्यक्ष मंजूबाला पाठक ने कहा है कि हम सभी लोग महामारी में संघर्ष तो कर रहे है। परन्तु हमारे समाज का एक वर्ग दिव्यांग है। जो इस महामारी में बहुत समस्या में हैं। दिव्यांग होना ईश्वर की देन है। परन्तु हम सभी मिलकर दिव्यांग लोगों की मदद कर सकते है। मंजुबाला पाठक, बिहार प्रदेश महिला कांग्रेस उपाध्यक्ष, केंद्र ऑर राज्य सरकारों का ध्यान दिव्यांगों के तरफ इस Covid 19 महामारी में आकृष्ट करना चाहती हु।
हमारा देश भारत, सामाजिक ऑर वैचारिक चेतना का देश है। और दुनिया की सबसे बड़ी लोकतंत्र यहीं हैं , तो इस लोकतंत्र के प्रहरी को दिव्यांग लोगों के तरफ ध्यान देने की जरूरत है। कहा कि दिव्यांग लोगों के लिए कुछ सामाजिक सुरक्षा योजना हैं। परन्तु ये बच्चों के हाथों में लॉलीपॉप जैसा है। दिव्यांग लोगों के लिए पुनर्वास योजना होनी चाहिए । तथा इन लोगों के स्वावलंबन के लिए भी केंद्र और राज्य सरकार के तरफ से प्रयास चाहिए। मेरा मानना है कि इनके स्वरोजगार और भरण पोषण के लिए सरकार को फंड की व्यवस्था करनी चाहिए। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को विकलांगों के लिए अपना मदद का दायरा बढ़ाना चाहिए। देश में विकलांगों की जनसंख्या बहुत अधिक हैं। इस हिसाब से इनको मुख्यधारा से वंचित नहीं रखा जा सकता। क्योंकि विकलांगों की विकास कर हम देश सेवा का मार्ग प्रशस्त कर सकते है।
यहीं हाल कमोबेश किसानों की हैं। देश का किसान देश की रीढ़ की हड्डी हैं। किसान अन्नदाता हैं। किसान यदि खुशहाल नहीं रहेगा तो देश की कृषि उत्पादकता प्रभावित होगी।तथा देश की अर्थव्यवस्था कमजोर होगी। किसानों के कल्याणार्थ सरकार को फंड की व्यवस्था करनी चहिए। देश व राज्यों में मंडियों की संख्या बढ़ाने का प्रयास केंद्र एव राज्य सरकारों को करना चाहिए। फसल चक्र हेतु किसानों का काउंसलिंग ऑर तकनीकी ज्ञान का प्रबंध सरकार के तरफ से होनी चाहिए। किसानों के लिए इस कॉविड 19 महामारी में अलग से फंड की व्यवस्था करने की माँग की है।उन्होंने पंचायतों व उसके प्रतिनिधियों की सहभागिता किसान हित के लिए सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
पाठ्यक्रमों में खेती किसानी की विषय कोमजबूत रूप से शामिल करने की जरूरत है। अत्यधिक उत्पादन बढ़ाने हेतु फंड और उत्तम बीज तथा खाद की व्यवस्था करनी चाहिए । किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट को बढ़ाने की जरूरत है मृदा जांच केंद्र व्यापक पैमाने पर बढ़ाने की बात कही है। उत्तम बीज और खाद ,सरकार के तरफ से आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए। बिहार के चंपारण में किसानों के गन्ना फसल का अभी तक भुगतान नहीं किया गया। किसानों की माली स्थिति बहुत ही खराब है ।अब फिर समाज में साहूकारी व्यवस्था का प्रचलन बढ़ने लगा । किसानों को पैदावार की उचित कीमत नहीं मिल रही गई। फसल क्षतिपूर्ति भी नहीं मिल रही है। इस महामारी में कुछ किसानों का पेट भरना मुश्किल हो गया है। उनके बच्चों का विकास अवरुद्ध है । भारत में कृषि पर निर्भरता बहुत अधिक हैं । यहां जीवन के इस संघर्ष में जो कोरोणा महामारी फैली हैं उससे देश को किसान ही उबार सकते है।आज हमारे समाज में कृषि बहुत जगहों पर ट्रेडिशनल तरीके से की जाती है इसका कारण मूलभूत सुविधाओं का अभाव ऑर फंड की कमी

चंपारण में व्यावसायिक खेती की जरुरत है ऑर यह सरकार द्वारा फंड की उपलब्धता के कारण हो सकती है। हमारे किसान बहुत मेहनती होते हैं बस उन्हें थोड़ा प्रसाद ऑर तकनीकी चीजों की उपलब्धता की आवश्यकता है जो सरकार द्वारा उसपे विजय पाई जा सकती है।किसान किसी भी संगठन ऑर मार्ग द्वारा लाभ प्राप्त कर सकते है बशर्ते उन्हे फंड देकर उनका मनोबल बढ़ाया जा सकता है।

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